हनुमान आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
हनुमान आरती के लाभ:
हनुमान को सबसे बलशाली और बुद्धिमान देवता के रूप में पूजा जाता है। हनुमान की आरती का पाठ करने से साधक के जीवन में सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं साथ ही, साधक को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है। हनुमान जी की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है। यदि हनुमानजी की पूजा की जाए तो साधक की सभी समस्याएं और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
इसके अलावा, साधक की तंत्र-मंत्र-यंत्र से रक्षा होती है। हनुमान लॉकेट धारण करने से साधकों को असाध्य व्यापारियों से मुक्ति प्राप्त होती है तथा भूत-प्रेत और बुरी शक्तियां साधकों के आस-पास नहीं आती हैं। हनुमान यंत्र भी अत्यंत माना जाता है। हनुमान यंत्र को सामने रख कर यदि इस आरती का पाठ किया जाए, तो यह साधक को अपने लक्ष्य प्रदान करने में मदद करता है और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।