गणेश आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा ।
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी ।
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
गणेश आरती के लाभ:
किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणेश की आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है। गणेश आरती के नियमित रूप से पाठ करने से साधक को सभी नावों में सफलता प्राप्त होती है। यदि आप आरती का पाठ करने के साथ गणपति धारण करते हैं, तो आपकी गणना में सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं। पारद गणेश प्रतिमा का भी अपना महत्व है। गणपति के सतीत्व घर की चारदीवारी के अंदर जीवंत भगवान का उत्सव मनाया जाता है।
घर में पारद गणेश मूर्ति भंडार से आपके घर में आने वाली सभी बाधाएं दूर होने के आसार हैं और आपके घर से प्रेम, शांति, समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है। गणेश आरती का पाठ करने के साथ गणपति गुटिका धारण करने से आपको कई प्रकार के विघ्नों से बाहर और अच्छे फल की प्राप्ति होती है।